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राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा (नीट)

भारत में चिकित्सा संस्थानों के लिए प्रवेश परीक्षा



भारत में चिकित्सा-स्नातक के पाठ्यक्रमों (एमबीबीएस , बीडीएस आदि) में प्रवेश पाने के लिये एक अर्हक परीक्षा (qualifying entrance examination) होती है जिसका नाम राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) है।[1] भारतीय चिकित्सा परिषद (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) और भारतीय दन्त परिषद (डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया) की मंजूरी से देश भर में चल रहे मेडिकल और डेंटल कॉलेजों (सरकारी या निजी) के एमबीबीएस व बीडीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश इसी परीक्षा के परिणाम के आधार पर होता है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और जवाहरलाल स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (जेआईपीएमईआर, पांडुचेरी) के भी एमबीबीएस कोर्स में प्रवेश इसी परीक्षा से होते हैैं। यह परीक्षा पहली बार ५ मई २०१३ को हुई थी।[2] अंतिम एनईईटी प्रवेश परीक्षा (2018) 6 मई को आयोजित की गई थी और परिणाम 4 जून को घोषित किए गए थे।

एनईईटी भारत भर में 66,000 से अधिक एमबीबीएस और बीडीएस सीटों में प्रवेश के लिए एक प्रवेश प्रवेश परीक्षा है।[3] 2018 एनईईटी परीक्षा में, लगभग 80% उम्मीदवारों ने अंग्रेजी में परीक्षा, हिंदी में 11%, गुजराती में 4.31%, बंगाली में 3% और तमिल में 1.86% की उपाधि लिखी।[4][5] 2019 से, राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी सीबीएसई के बजाय एनईईटी का संचालन करेगी।

भारतीय नागरिकों के अलावा इस परीक्षा को एनआरआई, ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया, पर्सन ऑफ इंडियन ओरिजिन और विदेशी नागरिक भी दे सकते हैं। ये सभी 15 फीसदी अखिल भारतीय कोटे के लिए योग्य होंगे। नीट के आधार पर ही राज्य के मेडिकल कॉलेजों में 15 फीसदी कोटे पर दाखिला होता है।

इस परीक्षा को देने वाले उम्मीदवारों की न्यूनतम आयु 17 वर्ष एवं अधिकतम आयु 25 वर्ष निर्धारित की गई है। आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को इसमें 5 वर्ष की छूट दी जाएगी। सभी उम्मीदवार को नीट देने के लिए अधिकतम तीन मौके दिए जाएंगे।[6]

कालेज सीटों की संख्या
All private colleges 25,840
All government colleges 27,590
NEET Counselling seats 3,521
NEET Basis seats 35,461
विदेशी चिकित्सा संस्थानों से एमबीबीएस करने के इच्छुक भारतीय छात्रों को अब नीट अर्हता (क्वालिफाई) अनिवार्य कर दी गयी है।


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