गाँव के घर और जीवन शैली House & Lifestyle in Villages


गाँव के घर और जीवन शैली House & Lifestyle in Villages.



पहले भारत के सभी गाँव में बांस और भूसे से बने चाट हुआ करते थे और घर भी मिट्टी के होते थे परन्तु अब प्रधानमंत्री आवास योजना की मदद से गाँव में गरीब लोगों को मुफ्त में पक्के घर मिल रहे हैं।

लगभग सभी गाँव के लोग खेती-किसानी करते हैं और अपने घरों में मुर्गियां, गाय-भैंस, बैल, और बकरियां पालते हैं। साथ ही गाँव के लोग शहरी लोगों की तरह सब्जी-मंडी में सब्ज़ियाँ खरीदने नहीं जाते हैं। हर कोई अपने खेतों और बगीचों में सब्ज़ियाँ लगाते हैं और खुद के घर की सब्ज़ियाँ खाते हैं।

गाँव के लोगों का मुख्य कार्य खेती होता है। आज भी शहरों में जिन अनाजों को लोग खाते हैं सभी गाँव के खेतों से ही आता है। आज भी इस 21वीं सदी में कई ऐसे गाँव हैं जहाँ तक पहुँचने के लिए अच्छी सड़क तक नहीं हैं।

हाला की प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अनुसार ज्यादातर गाँव को अब पक्की सड़कों से जोड़ा जा चूका है परन्तु फिर भी कुछ ऐसे गाँव हैं जहाँ पर सड़क ना होने के कारण वहां जाना तक बहुत मुश्किल होता है। उन जगहों पर सड़क ना होने के कारण बारिश के महीने में कीचड़ भर जाता है, गड्ढों के कारन जाना मुश्किल हो जाता है।

शहर के मुकाबले गाँव में बहुत कम लोग रहते हैं। गाँव में लोगों के घर के आस-पास बहुत खुली जगह होती है और हर किसी व्यक्ति के पास मोटरसाइकिल या कार नहीं होता है। गाँव में ज्यादातर लोगों के पास वाहन के रूप में बैल गाड़ी होता है। परन्तु कुछ जगहों में अब गाँव में भी लोगों के पास गाडी-मोटर की सुविधाएँ हैं।




पहले भारत के सभी गाँव में बांस और भूसे से बने चाट हुआ करते थे और घर भी मिट्टी के होते थे परन्तु अब प्रधानमंत्री आवास योजना की मदद से गाँव में गरीब लोगों को मुफ्त में पक्के घर मिल रहे हैं।

लगभग सभी गाँव के लोग खेती-किसानी करते हैं और अपने घरों में मुर्गियां, गाय-भैंस, बैल, और बकरियां पालते हैं। साथ ही गाँव के लोग शहरी लोगों की तरह सब्जी-मंडी में सब्ज़ियाँ खरीदने नहीं जाते हैं। हर कोई अपने खेतों और बगीचों में सब्ज़ियाँ लगाते हैं और खुद के घर की सब्ज़ियाँ खाते हैं।

गाँव के लोगों का मुख्य कार्य खेती होता है। आज भी शहरों में जिन अनाजों को लोग खाते हैं सभी गाँव के खेतों से ही आता है। आज भी इस 21वीं सदी में कई ऐसे गाँव हैं जहाँ तक पहुँचने के लिए अच्छी सड़क तक नहीं हैं।

हाला की प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अनुसार ज्यादातर गाँव को अब पक्की सड़कों से जोड़ा जा चूका है परन्तु फिर भी कुछ ऐसे गाँव हैं जहाँ पर सड़क ना होने के कारण वहां जाना तक बहुत मुश्किल होता है। उन जगहों पर सड़क ना होने के कारण बारिश के महीने में कीचड़ भर जाता है, गड्ढों के कारन जाना मुश्किल हो जाता है।

शहर के मुकाबले गाँव में बहुत कम लोग रहते हैं। गाँव में लोगों के घर के आस-पास बहुत खुली जगह होती है और हर किसी व्यक्ति के पास मोटरसाइकिल या कार नहीं होता है। गाँव में ज्यादातर लोगों के पास वाहन के रूप में बैल गाड़ी होता है। परन्तु कुछ जगहों में अब गाँव में भी लोगों के पास गाडी-मोटर की सुविधाएँ हैं।


अब गाँव के पास भी सरकार की और से प्राथमिक चिकित्सा केंद्र जगह-जगह खोले जा चुके हैं जिससे गाँव के लोगों को भी चिकित्सा के क्षेत्र में सुविधाएँ मिल रही है। इमरजेंसी के समय के लिए सरकार ने अब ज्यादातर प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों में मुफ्त 108 एम्बुलेंस सर्विस प्रदान की है जो बहुत मददगार साबित हुए हैं।


गाँव के लोग साप्ताहिक छोटे बाज़ार लगते हैं जहाँ लोग कपड़े, खाने का समान, बिजली आ समान और अन्य ज़रूरी समान खरीदने जाते हैं। अगर उन्हें कुछ बड़ी चीजें खरीदना होता है तो वह पास के शहर जाते हैं। 

गाँव में मौसम बहुत ही सुहाना और वातावरण बहुत स्वच्छ होता है। आज शहरी इलाकों में प्रदूषण के कारण सांस लेना तक मुश्किल हो गया है। परन्तु गाँव में ऐसा नहीं है। गाँव में कम वाहन चलने के कारण प्रदूषण ना के बराबर होता है और इसलिए वातावरण भी स्वच्छ होता है।


परन्तु जिन ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की कमी होती है वहां के जल संपदा बहुत अस्वच्छ होते हैं क्योंकि ज्यादातर गाँव में लोग जिस तालाब के पानी में कपड़े धोते हैं, गाय-भैंस को नहलाते हैं उसी में स्वयं नहाते हैं और उस पानी को खाने-पीने के काम में भी लेते हैं।


आज भी ज्यादातर गाँव में लोग बाहर शौच करते हैं जिसके कारण कई प्रकार की बीमारियाँ – जैसे टाइफाइड, डायरिया आदि से भी भुगतना पड़ता है। आज सरकार के कई अभियान जैसे – स्वच्छ भारत अभियान के द्वारा लोगों को स्वच्छता के विषय में जागरूक करने की मुहीम शुरू की जा चुकी है परन्तु इस प्राचीन काल से आये हुए अन्धविश्वास और अस्वच्छ भारत की आदतों को सुधारने में हमें बहुत समय लगेगा।

गाँव के लोग People of Village

जिन क्षेत्रों में कुछ प्राकृतिक कारणों से खेती किसानी सही प्रकार से नहीं हो पा रही है उन क्षेत्रों के गाँव में ज्यादातर लोग गरीबी रेखा (BPL-Below poverty line) के नीचे होते हैं। उनके पास खेत ना होने या खेतों में पानी की सुविधा सही प्रकार से ना हो पाने के कारण उनके पास एक वक्त का खाना खाने के लिए भी अनाज नहीं होता है।
ज्यादातर राज्यों की सरकार के इन गरीबी रेखा के लोगों के लिए जन धन योजना बैंक अकाउंट प्रदान किया है और साथ ही परिवार के अनुसार 2 रुपए वाला चावल प्रदान किया जा रहा है और साथ ही प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अनुसार घर-घर LPG गैस दिए जा रहे हैं।

पहले कुछ वर्ष पहले गाँव का जीवन रात होते ही अंधकार में डूब जाता था क्योंकि ज्यादातर गाँव में बिजली की सुविधा नहीं थी। आज लगभग ज्यादातर गाँव में बिजली की सुविधा पहुँच चुकी है। अब गाँव के बच्चे भी मेहनत कर रहे हैं और शिक्षा के क्षेत्र में बहुत सफलताएँ प्राप्त कर रहे हैं।


पारंपरिक त्यौहार और संस्कृति Traditional Festivals and Culture

आज भले ही शहरी क्षेत्रों में लोग भारत के संस्कृति और परंपरा को कई हद तक भुला चुके हैं वहीँ आज भी ग्रामीण लोगों के दिल में हमारे देश की परंपरा और संस्कृती कूट-कूट कर भरी हुई है। गाँव के त्यौहार में शहरों के जितना आतिशबाजी और रौशनी तो नहीं होता है परन्तु उसमें सही नियम, और लोग मिलझूल कर त्यौहार का आनंद उठाते हैं।

निष्कर्ष Conclusion

भले ही गाँव का जीवन देखने मे बहुत ही कष्टदायी दिखता हो परंतु होता बहुत ही सुंदर और मनमोहक है। आज इंटरनेट और अच्छे रोड रास्तों के कारण भारत का ग्रामीण जीवन भी बहुत आगे निकाल चुका है।



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