Algae
शैवाल
रचना के विचार से शैवालों में बहुत विभिन्नता पाई जाती है। कुछ तो अति सूक्ष्म एककोशिक होते हैं, जो केवल सूक्ष्मदर्शी द्वारा ही दृश्य हैं तथा कुछ ऐसे होते हैं जो कई सेंमी. लंबे होते हैं। क्लोरेला (Chlorella), क्लैमिडोमॉनैस (Chlamydomonas) आदि प्रथम कोटि में ही आते हैं। बड़े कोटिवाले शैवाल सूत्रवत् (filamentous) होते हैं, जो कई कोशिकाओं के बने होते हैं। सबसे बड़ा शैवाल मैक्रोसिस्टिस (Macrocystis) है, जो लाखों कोशिकाओ से बना तथा कई सौ फुट लंबा होता है। प्रत्येक कोशिका के अंदर एक केंद्रक (nucleus) होता है, जिसके चारों ओर कोशिकारस होता है। प्रत्येक कोशिका चारों ओर से कोशिकीय दीवारों से घिरी होती है। पर्णहरित तथा क्लोरोप्लास्ट (chloroplast) कोशिकारस में बिखरे रहते हैं।
वर्षी संरचना (vegetative structure) के विचार से शैवाल कई विभागों में बाँटे जा सकते हैं। कुछ तो एककोशिक तथा भ्रमणशील होते हैं, जिनमें कशभिका (flagellum) विद्यमान रहता है, जैसे यूग्लिना (Euglena) में। कुछ जातियों के अनेक एककोशिक मिलकर झुंड बनाते हैं और कशाभिका के सहारे एक जगह से दूसरी जगह भ्रमण करते हैं, जैसे प्ल्यूडोंराइना (Pleudorina), वॉलवॉक्स (Volvox) आदि। कुछ गोल (Coccoid) रूप धारण किए होते हैं, जैसे क्लोरोकॉक्कम (Chlorococcum), कुछ सूत्रवत् (filamentous) होते हैं, जैसे स्पाइरोजाइरा (Spirogyra) तथा यूलोअक्स (Ulothrix)। कुछ में दंडवत् रूप तथा सीधा रूप एक साथ होता है। इन्हें हेटरोट्राइकस श्रेणी में रखते हैं जैसे फ्रस्चियेल्ला (Fritschiella)। इस शैवाल में दो विभाग होते हैं, एक तो जमीन में धरातल के समानांतर सूत्रवत् अंश होते है, जिसे भूशायी (prostrate) भाग कहते हैं। इन्हीं भागों में से सीधे उगनेवाले सूत्रवत् भाग (filamentous form) पैदा होते हैं, जिन्हें इरेक्ट सिस्टेम (Erect system) कहते हैं। ऐसे ही शैवालों से पृथ्वी पर के बड़े बड़े पादपों के प्रादुर्भाव का होना समझा जाता है।
शैवालों में पोषण की समस्या स्वत: हल होती है। इनमें पर्णहरित विद्यमान रहता है, इसलिए प्रकाशसंश्लेष की विधि से ये अपना भोजन स्वयं बना लेते हैं। अत: ऐसे पौधे स्वपोषी (Autotrophs) कहे जाते हैं।
if you want more infomation go to the youtube chennal
No comments:
Post a Comment